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तारीख बता दो नेता जी

नारी सशक्तिकरण पर चर्चा के लिए,
एक मंच सजाया गया,
जहां पर वहां के माननीय नेता जी,
को भी बुलाया गया,
बातों और वादों का पिटारा लेकर,
नेता जी मंच पर आते हैं,
फिर नारी के सम्मान में,
दो - चार नई पंक्तियाँ सुनाते हैं,
नारी पूजनीय व वन्दनीय है,
यह पाठ सभी को पढ़ाते  हैं,
फिर नारी को मान और सम्मान दिलाने के,
नए- नए वादे करते जाते हैं |


नेता की बातों से थक कर,
एक महिला श्रोता बोल पड़ी,
भावुक होकर सबके समक्ष,
जज्बात यूँ अपने खोल पड़ी,
नेता जी मैं तो एक राजनीतिक मुद्दा हूँ,
जिसे भुना आप चुनाव तो जीत जाओगे,
पर कब तक झूठे वादों से,
ऐसे हमको बहलाओगे,
इन भाषणों और कविताओं से ही,
तुम कब तक मान बढ़ाओगे,
तारीख बता दो नेता जी,
किस दिन सम्मान दिलाओगे ?

फिल्मों की प्रेम कहानी तो,
सबको पसंद आती है,
अपनी बेटी फिर क्यों तुमको,
चरित्रहीन नजर आती है,
फिल्मों की अदाकाराओं की,
आजादी भी बड़ा लुभाती है,
अपनी बहुएं फिर क्यों तुमको,
घूँघट में ही भाती हैं,
आजादी का असली मतलब,
कैसे इनको समझाओगे,
तारीख बता दो नेता जी,
किस दिन सम्मान दिलाओगे ?

नारी तुम केवल श्रृद्धा हो,
ये गीत बहुत सब गाते हो,
फिर माँ- बहनों के शब्दों को,
अपशब्दों में तुम सुनाते हो,
बेटी- बचाओ, बेटी- पढ़ाओ,
अभियान नित नए चलाते हो,
नेता जी अखबार दिखा देंगे,
तुम कितनी बेटियाँ बचाते हो,
मेरे दोषियों को कब तुम,
फाँसी पर चढ़वाओगे,
तारीख बता दो नेता जी,
किस दिन सम्मान दिलाओगे ?

अखबारों के हर पन्नों में,
होता है मुझ पर रोज वार,
तारीख बता दो नेता जी,
कब तक होगा मेरा शिकार,
दोषी स्वतंत्र जो घूम रहे,
कब होगा उन पर पलटवार,
तारीख बता दो नेता जी,
कब थमेगा मुझ पर अत्याचार,
नेता जी कलियुग में मेरा,
कब चीरहरण रूकवाओगे,
तारीख बता दो नेता जी,
किस दिन सम्मान दिलाओगे ?

तारीख बता दो नेता जी,
किस दिन सम्मान दिलाओगे ?   

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