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खेल और जंग

(1)हाथ में काली पट्टी थी ,दिलों में दर्द शहादत का।
  राष्ट्रीय खेल हाॅकी ने ,बढ़ाया कद है भारत का।।

(2)जंग- ए-ऐलान जब जब किया नापाक था तुमने,
  हमारे हर एक फौजी ने दिया जबाव करारा था।
  ये तो मैच था केवल ,एक जीत पर उड़ने वालों,
  मत भूलो जब हमने ,घर में घुस के मारा था।
  क्रिकेट में जीत भी गए एक मैच तो क्या,
  राष्ट्रीय खेल पर उस दिन भी हक हमारा था।।

(3) वतन की हार पर जश्न मनाने वाले ऐ गद्दारों,
  दफन होगे जिस मिट्टी में, वो हिन्दुस्तान की होगी ।।

(4)बलिदान हुए इस देश पर जो, करो उनका अपमान नहीं।
    है जिसे देश से प्रेम नहीं, वो देश को भी स्वीकायॆ नहीं ।।

                                              -मृणालिनी शर्मा 

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस हद तक?

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गुम होती दीपक की रोशनी

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न्याय से बढ़ी उम्मीदें

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बदलाव की आवश्यकता

वैसे तो भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है अर्थात एक ऐसा देश जहाँ धर्म के आधार पर कोई  भेदभाव नहीें होता है,एक ऐसा देश जहाँ पर लोगों को उनके कर्म के अनुसार सम्मान मिलता है ,धर्म के अनुसार नहीं। किन्तु पुराने समय में समाज के कुछ लोगों द्वारा समाज के कुछ वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता था। समाज की उपेक्षा का शिकार बनने के कारण अपने ही समाज के कुछ लोग समय के साथ प्रगति नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप उन्हे समाज के पिछडे वर्ग के रूप मे सम्बोधित किया गया। पिछडे वर्ग के पुनर्विकास के उद्देश्य से समाज मे आरक्षण का उदय हुआ।                            देश में पिछडे वर्ग के लोगों को पिछले कुछ वर्षोें से जो आरक्षण मिल रहा है,उससे उनकी स्थिति  में सामाजिक स्तर पर सुधार हुआ, और पिछडे वर्ग के लोग आज विकसित भी हो गए । किन्तु इस जातीय आरक्षण के कारण पिछडे वर्ग के जो लोग आरक्षण का लाभ उ्ठा आज स्वाबलम्बी बन चुके हैें तथा आर्थिक रूप से विकसित हो चुके हैं उनकी पीढियाँ आजतक इस जातीय आरक्षण का लाभ उठा रहीं हैं । इसके विपरीत...

राजनीति का गिरता स्तर

 वास्तव में राजनीति जनता से जुड़े रहकर जनता की सेवा करने का एक माध्यम हैं किन्तु आज कल राजनीति  धन कमाने और सम्पति जुटाने का एक माध्यम बन चुका हैं तथा आज कल राजनेता अपने राजनीतिक   फायदे के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं और इस बात का सबसें बड़ा उदाहरण यह  हैं की यदि किसी नेता के लिए बाहुबली शब्द का प्रयोग किया जाता हैं तो उसे फक्र महसूस होता हैं | बीते वर्षो में  देखा गया हैं कि राजनीति में शालीन भाषा के स्तर में काफी गिरावट आयी हैं  | यदि नेता ही शालीन और मर्यादित भाषा का प्रयोग कर अपने विचारों को जनता के मध्य प्रस्तुत नहीं करेंगे तो उन मे और अशालीन लोगो में क्या अंतर रह जाएगा|                      किन्तु चुनाव के समय शुरू राजनीतिक  घमासान  में जब नेता एक दूसरे पर शब्दों के बाण चलाते हैं तो कई बार अनुचित भाषा का भी प्रयोग कर जाते हैं| वर्तमान में कुछ शीर्ष नेता सार्वजनिक मंच पर अपने विपक्षी नेता के जैसे अभिनय करते हुए उनके व्यक्तित्व का मजाक उड़ाते हुए भी दिखते हैं| इस राजनीत...

सीता – रावण संवाद

रावण - मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे, सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? सीता जी – तेरे दुस्साहस का तुझको, अंजाम यहीं बतलायेंगे, जब रावण तेरी लंका में, मेरे रघुनंदन आयेंगे. रावण – जो वन में नहीं बचा पाये, वो कैसे यहां बचायेंगे, तू मेरी जीवनसाथी बन, वो राम यहां न आयेंगे. जलधाम जो इतना गहरा है, न पार इसे कर पायेंगे, वो खुद तो इसमें डूबेंगे, और सबको साथ डुबायेंगे. इस लंकाधिपति की लंका तक, तेरे पति पहुंच न पायेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, ये सिंधु देख घबरायेंगे. सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे... सीता जी – कपटी तेरे कर्मों का फल, देने लंका वो आयेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, फिर से सीता ले जायेंगे. तू उनके कद को क्या जानें, पग ऐसा एक बढ़ायेंगे, ये धरती, सागर और गगन, उस पग में ही नप जायेंगे. तप में उनके इतना बल है, वो जिस पत्थर को उठायेंगे, वो ‘ राम ’ के नाम से तैरेंगे, सागर में सेतु बनायेंगे. सुन रावण तेरी लंका में, ऐसे रघुनंदन आयेंगे. त...