Skip to main content

राजनीति का गिरता स्तर


 वास्तव में राजनीति जनता से जुड़े रहकर जनता की सेवा करने का एक माध्यम हैं किन्तु आज कल राजनीति  धन कमाने और सम्पति जुटाने का एक माध्यम बन चुका हैं तथा आज कल राजनेता अपने राजनीतिक   फायदे के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं और इस बात का सबसें बड़ा उदाहरण यह  हैं की यदि किसी नेता के लिए बाहुबली शब्द का प्रयोग किया जाता हैं तो उसे फक्र महसूस होता हैं | बीते वर्षो में  देखा गया हैं कि राजनीति में शालीन भाषा के स्तर में काफी गिरावट आयी हैं  | यदि नेता ही शालीन और मर्यादित भाषा का प्रयोग कर अपने विचारों को जनता के मध्य प्रस्तुत नहीं करेंगे तो उन मे और अशालीन लोगो में क्या अंतर रह जाएगा|
                     किन्तु चुनाव के समय शुरू राजनीतिक  घमासान  में जब नेता एक दूसरे पर शब्दों के बाण चलाते हैं तो कई बार अनुचित भाषा का भी प्रयोग कर जाते हैं| वर्तमान में कुछ शीर्ष नेता सार्वजनिक मंच पर अपने विपक्षी नेता के जैसे अभिनय करते हुए उनके व्यक्तित्व का मजाक उड़ाते हुए भी दिखते हैं| इस राजनीतिक घमासान में हर तरफ से शब्दों के तीर चलते हैं जहाँ एक वार करता है तो दूसरा पलटवार|
            


 इस वाक् युद्ध से जनता का मनोरंजन तो होता हैं किन्तु दुःख की बात यह हैं कि इस वाक् युद्ध में  विकास  का मुद्दा छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर राजनीति हो रही हैं फिरचाहे वह राम मंदिर का मुद्दा हो या तीन तलाक का | नेता विपक्षी पार्टी की छवि ख़राब करने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते | एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए नेता शब्दों की मर्यादा भी भूल बैठते हैं तथा महिलाओं के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने में भी संकोच नहीं करते |
                    कोई भी नेता यदि विपक्षी दल के नेता द्वारा किये गए कार्यो या नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं तो बेशक उनकी निंदा करे किन्तु शब्दों की शालीनता का भी ध्यान रखे| एक नेता के  कार्य और विचार दूसरों के लिए आदर्श होते हैं |अतः नेताओं को शालीन भाषा का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि उनके समर्थक उनके कार्यो और विचारों का ही अनुसरण करते हैं|
                                                                                                        -मृणालिनी शर्मा

Comments

Must Read

बच्चों को सताये बोर्ड एक्जाम्स का भूत

भूतों से तो अमूमन सभी बच्चों को डर लगता है, लेकिन उनके लिए भूत से भी ज्यादा डरावना अगर कुछ होता है तो वह है बोर्ड एक्जाम्स का प्रेशर. हर साल 10वीं और 12वीं के कई बच्चे इसके चलते डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इसकी मुख्य वजह है अभिभावकों और सम्बंधियों द्वारा बच्चों से सुबह- शाम, उठते- बैठते सिर्फ बोर्ड एक्जाम और पढ़ाई की ही बातें करना. फरवरी 2019 में होने वाले बोर्ड एक्जाम्स के लिए जो भी बच्चे इसके लिए तैयारी कर रहे हैं, उन्हें आज हम बतायेंगे इस दौरान प्रेशर से बचने के कुछ तरीके, जिससे वे तनावमुक्त होकर अपने अच्छे से तैयारी कर पायेंगे. 1.      निश्चित करें पढ़ाई का समय – बोर्ड एक्जाम्स में ज्यादा पढ़ाई करना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए आपको हर वक्त किताब लेकर बैठना जरूरी नहीं है. हर दिन आप पढ़ने का एक समय निश्चित कर लीजिए, जिसमें की आप पूरी लगन और ईमानदारी के साथ पढ़ाई कर सकें. ऐसा करने से आप पढ़ाई के अलावा अपने बाकी कामों को भी समय दे पायेंगे और कोई हर वक्त आपको पढ़ने के लिए नहीं टोकेगा. 2.        आखिरी दिनों पर न रहें निर्भर – बोर...

सीता – रावण संवाद

रावण - मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे, सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? सीता जी – तेरे दुस्साहस का तुझको, अंजाम यहीं बतलायेंगे, जब रावण तेरी लंका में, मेरे रघुनंदन आयेंगे. रावण – जो वन में नहीं बचा पाये, वो कैसे यहां बचायेंगे, तू मेरी जीवनसाथी बन, वो राम यहां न आयेंगे. जलधाम जो इतना गहरा है, न पार इसे कर पायेंगे, वो खुद तो इसमें डूबेंगे, और सबको साथ डुबायेंगे. इस लंकाधिपति की लंका तक, तेरे पति पहुंच न पायेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, ये सिंधु देख घबरायेंगे. सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे... सीता जी – कपटी तेरे कर्मों का फल, देने लंका वो आयेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, फिर से सीता ले जायेंगे. तू उनके कद को क्या जानें, पग ऐसा एक बढ़ायेंगे, ये धरती, सागर और गगन, उस पग में ही नप जायेंगे. तप में उनके इतना बल है, वो जिस पत्थर को उठायेंगे, वो ‘ राम ’ के नाम से तैरेंगे, सागर में सेतु बनायेंगे. सुन रावण तेरी लंका में, ऐसे रघुनंदन आयेंगे. त...

तारीख बता दो नेता जी

नारी सशक्तिकरण पर चर्चा के लिए, एक मंच सजाया गया, जहां पर वहां के माननीय नेता जी, को भी बुलाया गया, बातों और वादों का पिटारा लेकर, नेता जी मंच पर आते हैं, फिर नारी के सम्मान में, दो - चार नई पंक्तियाँ सुनाते हैं, नारी पूजनीय व वन्दनीय है, यह पाठ सभी को पढ़ाते  हैं, फिर नारी को मान और सम्मान दिलाने के, नए- नए वादे करते जाते हैं | नेता की बातों से थक कर, एक महिला श्रोता बोल पड़ी, भावुक होकर सबके समक्ष, जज्बात यूँ अपने खोल पड़ी, नेता जी मैं तो एक राजनीतिक मुद्दा हूँ, जिसे भुना आप चुनाव तो जीत जाओगे, पर कब तक झूठे वादों से, ऐसे हमको बहलाओगे, इन भाषणों और कविताओं से ही, तुम कब तक मान बढ़ाओगे, तारीख बता दो नेता जी, किस दिन सम्मान दिलाओगे ? फिल्मों की प्रेम कहानी तो, सबको पसंद आती है, अपनी बेटी फिर क्यों तुमको, चरित्रहीन नजर आती है, फिल्मों की अदाकाराओं की, आजादी भी बड़ा लुभाती है, अपनी बहुएं फिर क्यों तुमको, घूँघट में ही भाती हैं, आजादी का असली मतलब, कैसे इनको समझाओगे, तारीख बता दो नेता जी, किस दिन सम्मान दिलाओगे ? नारी तुम केवल श्रृद्धा हो, ये ग...

प्रकृति

तपता है सूरज दिनभर , दुनिया को रोशन करने को। चलती रहती है वायु सदा , जन -जन को शीतल करने को । बहता है बादल भी खुद, धरती को जीवन देने को। स्वार्थी मात्र एक मानव है , जो खड़ा है सब कुछ लेने को । तुमको सब कुछ देती प्रकृति, है शेष नहीं कुछ देने को। इस धरती का सम्मान करो, है जगह स्वर्ग यह रहने को। अब मत इसको बर्बाद करो , इस स्वर्ग को स्वर्ग ही रहने दो।                                  -मृणालिनी शर्मा

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस हद तक?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है अर्थात एक ऐसा देश जहां पर लोगों को अपने अनुसार जीवन जीने और अपने विचार रखने की पूरी स्वतंत्रता है और यह लोकतंत्र मात्र संविधान की किताब तक ही सीमित नहीं है बल्कि प्रत्येक भारतीय के वास्तविक जीवन में भी अमल करता है । अतः इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर कहा जाए कि दुनिया में अगर कोई देश सच्चे मायनों में लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है तो वह भारत ही है।                       भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, अर्थात भारत का प्रत्येक नागरिक अपने विचारों को बोलकर, लिखकर  या किसी अन्य माध्यम से प्रकट करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र है । किन्तु इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है  कि आप अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश विरोधी बयान बाजी या नारेबाजी  करो । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नही है कि आप जिस देश की मिट्टी में पले -बढ़े हो,  उसी भारत माता को बाँटने की बात करो ।                   ...

Farmer-A Son of Soil

He struggles in a pickle, He burns himself in sunlight. He grows grain for the world , He is the saviour of mankind.                 He works hard in every season,                 So that people can survive.                 He feeds the entire humanity,                 Yet sleeps hungry everynight. When he cries with tears of sorrow, No one even hears his voice. Whether he cries or he dies, We just ignore and close our eyes.                                   He is a farmer,a son of soil,                   Who is today committing suicide.                 Now please don't politicize his death,       ...

देशभक्ति आखिर है क्या ?

              पिछले कुछ दिनों से देश में एक नया दौर शुरू हो गया है जहां कुछ लोगों ने देश के नागरिकों को विचारधारा के आधार पर देशभक्त और देशद्रोही के सर्टिफिकेट देने का बीड़ा उठा रखा है । आज देश में यह बहस का बड़ा मुद्दा बना हुआ है कि कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही  !                         किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले यह जानना आवश्यक है कि देशभक्ति आखिर है क्या ? " अपने देश के प्रति श्रद्धा, प्यार और समर्पण की भावना को देशभक्ति कहते हैं ।" और ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की देश विरोधी गतिविधि में संलिप्त होता है, वह  देशद्रोही है और ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है ।                           किन्तु यह बिल्कुल भी उचित नहीं है कि किसी विशेष विचारधारा के प्रति सहमति या असहमति प्रकट करने पर कोई भी व्यक्ति भारत के आम नागरिकों की देशभक्ति पर प्रश्नचिह्न खड़ा करे। हाल ही ...

Angels in Our Life

I always had few questions in my mind and I used to ask myself ,"who are angels, do they really exist in this world ,are they visible? " These questions often came to my mind and disturbed me a lot and I'm sure that we all want to know the answers of these questions . We all want to know about angels.                Whenever I thought about angels,  these questions made me restless . But one day I met someone and got the answers of all my questions. When I met her, I realized that yes , Angels exist in this world and they are visible to everyone.And you'll be surprise to know that they are all around us. We all have angels in our life .We all are surrounded by them. We just have to find them out.                "Angels are the special agents of God." God has sent them to make this world more beautiful.  It is very easy to find your Angel .Your Angel can be among your family members ,am...

स्वयं लेनी होगी जिम्मेदारी

कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है तथा समय के साथ सब कुछ बदल जाता है । मनुष्य की प्रकृति भी यही है कि  वह पुरानी चीजों में परिवर्तन देखना चाहता है , अतः वह उनमें दोष निकालना प्रारंभ कर देता है। किन्तु दूसरों में दोष निकालने से पहले हमें अपने आपको एक बार अवश्य देखना चाहिए ।             इसमें कोई संदेह नहीं है कि, हम सभी अपने देश से प्यार करते हैं तथा अपने देश का सम्मान करते हैं । तथा हम सभी अपने देश में एक सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं,  क्यों कि हम सब अपने देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ  देश के रूप में देखना चाहते हैं । किन्तु जनसंख्या, संसाधन  तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से कई देशों से आगे होने के बावजूद  हमारा देश आज भी विकासशील है तथा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाया है ।               यदि आप किसी भी आम नागरिक से इसका कारण पूछेंगे , तो वह इन सब के लिए सीधे - सीधे भ्रष्ट नेता और सरकार को ही जिम्मेदार ठहरायेगा । किन्तु अब प्रश्न यह उठता है  कि इन सब के लिए केवल सरकार को ही जिम्मेदार ठहराना कितन...

न्याय से बढ़ी उम्मीदें

5 मई ,2017 का यह दिन 'भारतीय न्याय प्रणाली' के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा । क्यों कि आज के दिन मात्र निर्भया को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश को न्याय मिला है। 16 दिसम्बर, 2012 की रात हुई उस बर्बर और अमानवीय घटना को याद कर  सारा देश सिहर उठता है । इसी कारण निर्भया के परिवार के साथ- साथ पूरे देश को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी।                                    किन्तु यह भी सत्य है ,कि इतना क्रूर अपराध करने के बाद भी दोषियों को सजा मिलने में लगभग 5 वर्ष लग गये। 10 सितम्बर, 2013 को साकेत कोर्ट ने दोषियों को सजा तो सुनाई थी ,किन्तु दोषियों ने इस फैसले को चुनौती देकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 13 मार्च, 2014 को हाईकोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाते हुए फाँसी की सजा बरकरार रखी । इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा । 429 पेज के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया , कि  इस तरह के जघन्य अपराध करने वालों पर किसी भी तरह की रियायत नहीं की जा सकती ...