5 मई ,2017 का यह दिन 'भारतीय न्याय प्रणाली' के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा । क्यों कि आज के दिन मात्र निर्भया को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश को न्याय मिला है। 16 दिसम्बर, 2012 की रात हुई उस बर्बर और अमानवीय घटना को याद कर सारा देश सिहर उठता है । इसी कारण निर्भया के परिवार के साथ- साथ पूरे देश को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी। किन्तु यह भी सत्य है ,कि इतना क्रूर अपराध करने के बाद भी दोषियों को सजा मिलने में लगभग 5 वर्ष लग गये। 10 सितम्बर, 2013 को साकेत कोर्ट ने दोषियों को सजा तो सुनाई थी ,किन्तु दोषियों ने इस फैसले को चुनौती देकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 13 मार्च, 2014 को हाईकोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाते हुए फाँसी की सजा बरकरार रखी । इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा । 429 पेज के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया , कि इस तरह के जघन्य अपराध करने वालों पर किसी भी तरह की रियायत नहीं की जा सकती ...