हिंसा ,नफरत , द्वेष तथा दहशत जब अपने चरम पर पहुंच जाता है ,तब यह आतंकवाद के रूप में उभरकर सामने आता है । यदि आतंकवाद को परिभाषित किया जाए , तो वास्तव में ' अपने आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए की जाने वाली हिंसात्मक गतिविधि को आतंकवाद कहते हैं ।' आज भारत समेत विश्व के कई बड़े- बड़े देश भी आतंकवाद जैसी समस्या से जूझ रहे हैं । पिछले कुछ दशकों से आतंकवाद विश्व के लिए एक बडी चुनौती बनकर उभरा है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद को किसी विशेष धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए । यह किसी विशेष धर्म के लोगों द्वारा नहीं बल्कि मानसिक रूप से बीमार लोगों द्वारा फैलाया जाता है ।लोगों के मन में अपने प्रति भय स्थापित करने ,दूसरों की जगह पर अपना आधिपत्य जमाने तथा सत्ता हथियाने के लालच में कुछ असामाजिक तत्व क्रूरता की किसी भी हद तक जा सकते हैं ।अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए इन आतंकवादियों ने अब तक न जाने कितने ही लोगों के प्राणों की बलि चढा दी । ...