कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है तथा समय के साथ सब कुछ बदल जाता है । मनुष्य की प्रकृति भी यही है कि वह पुरानी चीजों में परिवर्तन देखना चाहता है , अतः वह उनमें दोष निकालना प्रारंभ कर देता है। किन्तु दूसरों में दोष निकालने से पहले हमें अपने आपको एक बार अवश्य देखना चाहिए । इसमें कोई संदेह नहीं है कि, हम सभी अपने देश से प्यार करते हैं तथा अपने देश का सम्मान करते हैं । तथा हम सभी अपने देश में एक सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं, क्यों कि हम सब अपने देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देश के रूप में देखना चाहते हैं । किन्तु जनसंख्या, संसाधन तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से कई देशों से आगे होने के बावजूद हमारा देश आज भी विकासशील है तथा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाया है । यदि आप किसी भी आम नागरिक से इसका कारण पूछेंगे , तो वह इन सब के लिए सीधे - सीधे भ्रष्ट नेता और सरकार को ही जिम्मेदार ठहरायेगा । किन्तु अब प्रश्न यह उठता है कि इन सब के लिए केवल सरकार को ही जिम्मेदार ठहराना कितन...