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बदलाव की आवश्यकता


वैसे तो भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है अर्थात एक ऐसा देश जहाँ धर्म के आधार पर कोई  भेदभाव नहीें होता है,एक ऐसा देश जहाँ पर लोगों को उनके कर्म के अनुसार सम्मान मिलता है ,धर्म के अनुसार नहीं। किन्तु पुराने समय में समाज के कुछ लोगों द्वारा समाज के कुछ वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता था। समाज की उपेक्षा का शिकार बनने के कारण अपने ही समाज के कुछ लोग समय के साथ प्रगति नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप उन्हे समाज के पिछडे वर्ग के रूप मे सम्बोधित किया गया। पिछडे वर्ग के पुनर्विकास के उद्देश्य से समाज मे आरक्षण का उदय हुआ।

                           देश में पिछडे वर्ग के लोगों को पिछले कुछ वर्षोें से जो आरक्षण मिल रहा है,उससे उनकी स्थिति  में सामाजिक स्तर पर सुधार हुआ, और पिछडे वर्ग के लोग आज विकसित भी हो गए । किन्तु इस जातीय आरक्षण के कारण पिछडे वर्ग के जो लोग आरक्षण का लाभ उ्ठा आज स्वाबलम्बी बन चुके हैें तथा आर्थिक रूप से विकसित हो चुके हैं उनकी पीढियाँ आजतक इस जातीय आरक्षण का लाभ उठा रहीं हैं । इसके विपरीत वह वर्ग जो वास्तव में आर्थिक रूप से पिछडा है , वे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के बावजूद जीवन के इस इम्तिहान में आरक्षण से हार जाते हैं । समाज में इस प्रकार के भेदभाव को दूर करने के लिए तथा सभी वर्ग के लोगों का समुचित विकास करने के लिए आवश्यक है कि देश में आरक्षण जाति के आधार पर नहीं अपितु गरीबी के आधार पर  दिया जाए ,फिर चाहें वह गरीब पिछडे वर्ग का हो या फिर सामान्य वर्ग का ।
                             -मृणालिनी शर्मा
                    

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Farmer-A Son of Soil

He struggles in a pickle, He burns himself in sunlight. He grows grain for the world , He is the saviour of mankind.                 He works hard in every season,                 So that people can survive.                 He feeds the entire humanity,                 Yet sleeps hungry everynight. When he cries with tears of sorrow, No one even hears his voice. Whether he cries or he dies, We just ignore and close our eyes.                                   He is a farmer,a son of soil,                   Who is today committing suicide.                 Now please don't politicize his death,       ...