अमृतसर के धोबीघाट मैदान में दशहरा का मेला देखने आये लोगों ने उस दिन मौत का
जो मंजर देखा, उसे शायद पूरा अमृतसर कई सालों तक नहीं भूला पाएगा. 19 अक्टूबर की
उस काली शाम को, जब दशहरा के दिन रावण दहन के दौरान लोग जोड़ा फाटक के पास पटरियों
पर जाकर खड़े हो गए थे. सर पर खड़ी मौत से अंजान लोगों को शायद यह पता भी नहीं चला
होगा कि कब उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गयी और दस सेकेण्ड के अंदर उन्होंने अपनी जान
गंवा दी.
लेकिन सोचने वाली बात यह है
कि इतने बड़े कार्यक्रम में झकझोंर देने वाला दर्दनाक हादसा हो गया, 60 लोगों की
मौत हो गयी, लेकिन इसका जिम्मेदार कोई भी नहीं है! स्थानीय प्रशासन, रेलवे से लेकर
आयोजक और नेता तक सब एक- दूसरे पर आरोप मढते नजर आ रहे हैं. लोग गुस्से में हैं
और न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन जब कोई गुनहगार ही नहीं है तो वो भी किससे और
किसके लिए सजा की मांग करें. आइए आपको बताते हैं कि कैसे पूरे मामले से सब अपना पल्ला
झाड़ते हुए खुद को पाक- साफ बता रहे हैं...
मैडम नवजोत के बदलते बयान –
इस पूरे हादसे में अगर किसी पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं तो वो हैं नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू पर, और
इसका कारण है मैडम के बदलते बयान...
एक ओर मैडम जहां पूरे हादसे का ठीकरा रेलवे और गेटमैन पर मढ़ती नजर आईं तो वहीं
उन्हें एक बार यह कहते सुना गया कि उनके कार्यक्रम से निकलने के बाद जब वह कार में
थीं तब उन्हें दुर्घटना की जानकारी मिली. वहीं दूसरे बयान में उन्होंने कहा कि वह
उस वक्त घर पहुंच चुकी थीं और पुलिस ने सुरक्षा कारणों से वहां आने से मना किया
था. लेकिन मैडम का झूठ सीसीटीवी फुटेज में सामने आ गया जिसमें साफ दिख रहा है कि
वह घटना के वक्त मौजूद थीं.
कुदरत का कहरः सिद्धू –
जिस जगह पर यह हादसा हुआ वह कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह
सिद्धू का ही विधानसभा क्षेत्र है. बाहर होने के कारण हादसे के दूसरे दिन पहुंचे
सिद्धू ने पूरे मामले पर एक अलग ही दलील दी और कहा कि ये दुर्घटना कुदरत का प्रकोप
है. तो गुरू यह हादसा कुदरत का कहर नहीं बल्कि मानवीय लापरवाही का अंजाम था और
ऐसे बेतुके बयानों से आप अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते.
दूसरे दिन मिला मुख्यमंत्री साहब को समय –
घटनास्थल से कुछ दूर ही होने के बावजूद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को उस
दिन वहां पहुंचने का समय नहीं मिला और जब जनाब से इस बारे में पूछा गया तो
उन्होंने कहा कि मैं कल पीड़ितो से मिलने जाऊंगा.
इसके बाद दूसरे दिन पहुंचे कैप्टन साहब भी खुद का बचाव करने पर उतर आये और
बोले कि ये तू-तू, मैं- मैं का समय नहीं है, घटना की मजिस्ट्रेट जांच होगी और चार
हफ्ते में दोषी का पता चल जायेगा.
ड्राइवर की गलती नहीः रेलवे
मौत की वो एक्सप्रेस उस दिन जिस स्पीड में थी, वो सबने वीडियो में देखा होगा.
लेकिन रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने रेलवे का और ड्राइवर का बचाव करते
हुए कहा है कि ट्रेन की स्पीड कम थी और अगर ड्राइवर इमरजेंसी ब्रेक लगाता तो बड़ा
हादसा हो सकता था.
इसके अलावा लोग गेटमैन पर भी सवाल उठा रहे हैं तो इस पर रेलवे का कहना है कि
गेटमैन की जिम्मेदारी तो सिर्फ गेट तक की होती है. इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं
है. यही नहीं रेलवे ने यहां तक कह दिया कि यह पूरा मामला अतिक्रमण का है और
इसमें जांच की कोई जरूरत ही नहीं है.
हमने ली थी अनुमतिः आयोजक
ट्रैक के पास रामलीला आयोजित करने को लेकर सवालों में घिरे आयोजकों ने भी पूरे
मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है. आयोजक सौरभ मदान ने कहा है कि हमने कार्यक्रम
के लिए पुलिस से अनुमति ली थी. लेकिन नगर निगम कमिश्नर सोनाली गिरी का इस पर कहना
है कि उन्हें कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी.
वहीं जब पुलिस से इस बारे में सवाल पूछा गया तो डीसीपी अमरीक ने बताया कि
कार्यक्रम के लिए उन्होंने अनुमति दी थी, लेकिन आयोजकों ने नगर निगम और प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड से इसके लिए कोई अनुमति नहीं ली थी.
आयोजन अनुचितः मनोज सिन्हा
हादसे के कुछ घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भी
पूरे हादसे में रेलवे को पाक- साफ करार दिया और आयोजकों को आड़े हाथों लेते हुए
कहा कि ट्रैक के पास इस तरह के कार्यक्रम नहीं होने चाहिए.
तो इस पूरे मामले में सबने अपने दामन को साफ साबित करने में पूरा जोर लगा दिया
है. इनके मुताबिक गलती न रेलवे की है न आयोजको की, न स्थानीय प्रशासन की और न ही पुलिस
की. जनाब, आप लोग बिलकुल सही हैं. दरअसल गलती तो उन लोगों की है जो इस बेफिक्री से
रावण दहन देखने में मस्त थे, कि प्रशासन, पुलिस और नेताओं ने तो उनके लिए सुरक्षा
इंतजाम किये ही होंगे, क्योंकि उन लोगों को यह भरोसा था, कि हर साल उस जगह पर वह
कार्यक्रम होता था और अगर आज तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई तो इस बार भी नहीं होगी. जी
हां गलती सिर्फ उन मासूम लोगों की ही है.
फिर भी
यह हादसा तमाम दर्दनाक सवाल छोड़ गया है कि अगर पुलिस, प्रशासन रेलवे, नेता और
आयोजक सब इतने ईमानदार हैं और सबने अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाई तो उन सबकी आंखों
के सामने इतना बड़ा नरसंहार हुआ कैसे....और इन सवालों का जबाव तो इन लोगों को जनता
को देना ही होगा.
Pictures used in this blog are not owned by me.
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