Skip to main content

सन्यासी से सत्ता तक

                      

आज बात करते हैं ,एक ऐसे सन्यासी कि जो आज राजनीतिक जगत की नई सनसनी बन चुका है।भारत से लेकर पाकिस्तान तक अगर कोई व्यक्ति आज चर्चा का केन्द्र बना हुआ है ,तो वो है उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री 'योगी  आदित्यनाथ' ।
                      एक तरफ भगवा वस्त्र ,मस्तक पर तिलक, आंखों में तेज लिए एक साधु तथा दूसरी ओर प्रखर हिंदुत्ववादी ,जनसेवक ,आक्रामक शैली तथा राष्ट्रवादी छवि लिए एक निर्भीक राजनेता । यह सफर है,एक सन्यासी का जो आज भारत के सबसे महत्वपूर्ण राज्य का मुख्यमंत्री है।
                       इस सफर की शुरुआत होती है ,उत्तराखंड के कोटद्वार जिले से, जहां की पावन भूमि में 5 जून ,1972 ई0 को 'अजय सिंह बिष्ठ ' का जन्म हुआ ।अजय को बचपन से ही राजनीति में रूचि थी । इन्होंने उत्तराखंड के गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित विषय से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। किन्तु शायद अजय के भाग्य में राजनीति ही लिखी थी ।                अतः उन्होंने छात्रसंघ चुनाव  लड़ने का मन बनाया, किन्तु एबीवीपी से टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लडा ।किन्तु उस चुनाव में अजय सिंह बिष्ठ को करारी हार का सामना करना पड़ा । इस हार से अजय इतने दुःखी हुए कि सब - कुछ छोडकर गोरखपुर आ गए ,जहां गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ जी को अपना धर्मगुरु बनाया तथा महज 22 साल की उम्र में सन्यास ले लिया । अब अजय सिंह बिष्ठ 'योगी आदित्यनाथ' बन चुके थे।
                                1994 में महंत अवैद्यनाथ ने योगी को अपना उत्तराधिकारी बनाया तथा अवैद्यनाथ जी के राजनीति से संयास लेने के बाद 1998 में लोकसभा चुनाव जीतकर 'योगी आदित्यनाथ'सबसे कम उम्र के सांसद बने।
योगी जी के जीवन में एक बुरा दौर भी था जब 2007 में हुए गोरखपुर दंगे में  उन्हें मुख्य आरोपी के रूप में जेल जाना पडा था। 2002 में योगी ने 'हिंदु युवा वाहिनी' नामक संगठन की स्थापना की थी।
                        कालेज में छात्रसंघ चुनाव में हुई योगी की हार उनके जीवन की पहली और आखिरी हार थी ।उसके बाद योगी ने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा तथा वे 1998 से लेकर 2014 तक 5 बार गोरखपुर से सांसद चुने गए  व हाल ही में उन्होने  यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार  संभाला । यह था हारे हुए 'अजय सिंह बिष्ठ' से अजेय 'आदित्यनाथ' बनने तक का सफर ।
                    इसके अतिरिक्त योगी जी के जीवन के अन्य भी कई रोचक पहलू हैं । योगी जी को पशुओं से खासा लगाव है ,वे अक्सर बंदर व शेर के साथ खेलते दिख जाते हैं तथा गौ माता के प्रति तो उनकी अपार श्रद्धा है।  इसके अतिरिक्त योगी जी को बागवानी में भी रूचि है। योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिन्दुवादी नेता की रही है किन्तु वे एक सन्यासी व एक राजनेता दोनों ही रूपों में लोकप्रिय हैं । उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर योगी जी को बधाई । आशा है कि वे अपने एजेंडे 'सबका साथ सबका विकास 'के साथ प्रदेश को विकास पथ पर ले जाएंगे ।

                                                   - मृणालिनी शर्मा 




Comments

Must Read

सबके दामन साफ, 60 मौतें माफ

अमृतसर के धोबीघाट मैदान में दशहरा का मेला देखने आये लोगों ने उस दिन मौत का जो मंजर देखा, उसे शायद पूरा अमृतसर कई सालों तक नहीं भूला पाएगा. 19 अक्टूबर की उस काली शाम को, जब दशहरा के दिन रावण दहन के दौरान लोग जोड़ा फाटक के पास पटरियों पर जाकर खड़े हो गए थे. सर पर खड़ी मौत से अंजान लोगों को शायद यह पता भी नहीं चला होगा कि कब उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गयी और दस सेकेण्ड के अंदर उन्होंने अपनी जान गंवा दी.           लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इतने बड़े कार्यक्रम में झकझोंर देने वाला दर्दनाक हादसा हो गया, 60 लोगों की मौत हो गयी, लेकिन इसका जिम्मेदार कोई भी नहीं है! स्थानीय प्रशासन, रेलवे से लेकर आयोजक और नेता तक सब एक- दूसरे पर आरोप मढते नजर आ रहे हैं. लोग गुस्से में हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन जब कोई गुनहगार ही नहीं है तो वो भी किससे और किसके लिए सजा की मांग करें. आइए आपको बताते हैं कि कैसे पूरे मामले से सब अपना पल्ला झाड़ते हुए खुद को पाक- साफ बता रहे हैं... मैडम नवजोत के बदलते बयान – इस पूरे हादसे में अगर किसी पर सबसे ज्याद...

नारी सशक्तिकरण का डिजिटल रूप या पब्लिसिटी स्टंट, आखिर क्या है ‘मीटू’ के पीछे का सच

बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने जाने- माने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर भारत में ‘ मीटू ’ नामक जिस आग को जो हवा दी, उसने बॉलीवुड समेत, मीडिया, राजनीति जगत और बीसीसीआई तक को अपनी चपेट में ले लिया है. नाना पाटेकर के बाद अब तक फिल्म डॉयरेक्टर विकास बहल, राज्यसभा सांसद एम.जे.अकबर, बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी और यहां तक की संस्कारी बाबू आलोकनाथ समेत कई बड़े धुरधंर मीटू के लपेटे में आ चुके हैं.        कई बड़े नामों के मीटू में फंसने के बाद देश भर में इसको लेकर हलचल पैदा हो गयी है. कुछ लोग इसे नारी सशक्तिकरण के डिजिटल रूप की तरह देख रहे हैं तो कुछ इसे महज एक पब्लिसिटी स्टंट मान रहे हैं. जरूरी नहीं है कि मीटू के अंतर्गत लगाए गये सभी आरोप पूरी तरह से सही हों, लेकिन   इसमें कोई दोहराय नहीं है कि इन आरोपों में कुछ हद तक तो सच्चाई है ही, जो कि काम की जगह पर महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार की सच्चाई उजागर कर रहे हैं. यह मुहिम सच सामने लाने का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है या पब्लिसिटी स्टंट ये तो वक्त बतायेगा, फिलहाल हम आपको बताते हैं मीटू की अब तक की...

मैं शहीद हो गया हूं

मैं, मैं भारत माँ का एक सिपाही हूँ, इस मिट्टी में पला- बढ़ा, इस मातृभूमि का बेटा, जो आज इसी मिट्टी में खो गया हूँ, क्योंकि पिछले महीने हुई मुठभेड़ में, मैं शहीद हो गया हूँ ... सीमा पर उस दिन जब मैं दुश्मनों से लड़ रहा था, निडर क़दमों से निरंतर उनकी ओर बढ़ रहा था. उस वक्त न मेरे दिल में कोई डर था, न माथे पर कोई शिकन था, बस मन में एक ख़याल था, कि मेरी शहादत की खबर अगर कोई, मेरे घर पहुंचाएगा, तो मेरा दस साल का बेटा, ये सदमा कैसे सह पायेगा... पर मेरा बेटा उस दिन कुछ ऐसा कह गया, जिसे सुनकर हर हिन्दुस्तानी दिल भर गया. बेटे ने कहा कि मुझे भी पापा के जैसे सेना में जाना है, और पापा के एक सर के बदले, दुश्मन के दस सर काट के लाना है... जब- जब हमारे परिवारों से ऐसी, निर्भीक आवाजें आतीं हैं, तब- तब सीमा पार खड़े, दुश्मन की धरती हिल जाती है... उस आखिरी मुठभेड़ से पहले भी, मैं कई जंग लड़ा था, हाँ, रेगिस्तान की तपती रेत में भी, मैं डटकर खड़ा था, क्योंकि वहां की मिट्टी की सुगंध,   उस तपन को ठंडा कर देती थी, और रेगिस्तान की धरती भी म...

बच्चों को सताये बोर्ड एक्जाम्स का भूत

भूतों से तो अमूमन सभी बच्चों को डर लगता है, लेकिन उनके लिए भूत से भी ज्यादा डरावना अगर कुछ होता है तो वह है बोर्ड एक्जाम्स का प्रेशर. हर साल 10वीं और 12वीं के कई बच्चे इसके चलते डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इसकी मुख्य वजह है अभिभावकों और सम्बंधियों द्वारा बच्चों से सुबह- शाम, उठते- बैठते सिर्फ बोर्ड एक्जाम और पढ़ाई की ही बातें करना. फरवरी 2019 में होने वाले बोर्ड एक्जाम्स के लिए जो भी बच्चे इसके लिए तैयारी कर रहे हैं, उन्हें आज हम बतायेंगे इस दौरान प्रेशर से बचने के कुछ तरीके, जिससे वे तनावमुक्त होकर अपने अच्छे से तैयारी कर पायेंगे. 1.      निश्चित करें पढ़ाई का समय – बोर्ड एक्जाम्स में ज्यादा पढ़ाई करना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए आपको हर वक्त किताब लेकर बैठना जरूरी नहीं है. हर दिन आप पढ़ने का एक समय निश्चित कर लीजिए, जिसमें की आप पूरी लगन और ईमानदारी के साथ पढ़ाई कर सकें. ऐसा करने से आप पढ़ाई के अलावा अपने बाकी कामों को भी समय दे पायेंगे और कोई हर वक्त आपको पढ़ने के लिए नहीं टोकेगा. 2.        आखिरी दिनों पर न रहें निर्भर – बोर...

सीता – रावण संवाद

रावण - मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे, सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? सीता जी – तेरे दुस्साहस का तुझको, अंजाम यहीं बतलायेंगे, जब रावण तेरी लंका में, मेरे रघुनंदन आयेंगे. रावण – जो वन में नहीं बचा पाये, वो कैसे यहां बचायेंगे, तू मेरी जीवनसाथी बन, वो राम यहां न आयेंगे. जलधाम जो इतना गहरा है, न पार इसे कर पायेंगे, वो खुद तो इसमें डूबेंगे, और सबको साथ डुबायेंगे. इस लंकाधिपति की लंका तक, तेरे पति पहुंच न पायेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, ये सिंधु देख घबरायेंगे. सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे... सीता जी – कपटी तेरे कर्मों का फल, देने लंका वो आयेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, फिर से सीता ले जायेंगे. तू उनके कद को क्या जानें, पग ऐसा एक बढ़ायेंगे, ये धरती, सागर और गगन, उस पग में ही नप जायेंगे. तप में उनके इतना बल है, वो जिस पत्थर को उठायेंगे, वो ‘ राम ’ के नाम से तैरेंगे, सागर में सेतु बनायेंगे. सुन रावण तेरी लंका में, ऐसे रघुनंदन आयेंगे. त...