Skip to main content

नारी सशक्तिकरण का डिजिटल रूप या पब्लिसिटी स्टंट, आखिर क्या है ‘मीटू’ के पीछे का सच


बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने जाने- माने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर भारत में मीटूनामक जिस आग को जो हवा दी, उसने बॉलीवुड समेत, मीडिया, राजनीति जगत और बीसीसीआई तक को अपनी चपेट में ले लिया है. नाना पाटेकर के बाद अब तक फिल्म डॉयरेक्टर विकास बहल, राज्यसभा सांसद एम.जे.अकबर, बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी और यहां तक की संस्कारी बाबू आलोकनाथ समेत कई बड़े धुरधंर मीटू के लपेटे में आ चुके हैं.
      कई बड़े नामों के मीटू में फंसने के बाद देश भर में इसको लेकर हलचल पैदा हो गयी है. कुछ लोग इसे नारी सशक्तिकरण के डिजिटल रूप की तरह देख रहे हैं तो कुछ इसे महज एक पब्लिसिटी स्टंट मान रहे हैं. जरूरी नहीं है कि मीटू के अंतर्गत लगाए गये सभी आरोप पूरी तरह से सही हों, लेकिन  इसमें कोई दोहराय नहीं है कि इन आरोपों में कुछ हद तक तो सच्चाई है ही, जो कि काम की जगह पर महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार की सच्चाई उजागर कर रहे हैं. यह मुहिम सच सामने लाने का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है या पब्लिसिटी स्टंट ये तो वक्त बतायेगा, फिलहाल हम आपको बताते हैं मीटू की अब तक की पूरी कहानी...
IMAGE OF ME TOO के लिए इमेज परिणाम

आखिर क्या बला है मीटू
 इस अभियान में शामिल होने वाली महिलाओं की कहानी जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि यह मीटूआखिर है क्या? तो चलिए हम आपको बताते हैं कि भारत में जंगल की आग के रूप में फैल रहे इस अभियान की चिंगारी कहां से उठी थी.
दरअसल, मीटू ट्विटर पर ट्रेंड करने वाला एक हैशटैग है, जिसकी शुरूआत 15 अक्टूबर 2017 में अमेरिकी सिविल राइट्स एक्टिविस्ट तराना बर्क ने की. इसके बाद हॉलीवुड में सबसे पहले फिल्म अभिनेत्री एलिसा मिलानो ने डॉयरेक्टर हार्वी वाइंस्टाइन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. इसके बाद अपने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न या बदसलूकी का शिकार हुई कई महिलाओं ने मीटू हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती साझा की.
अमेरिका में पॉपुलर हुए इस अभियान के ठीक एक साल बाद अक्टूबर 2018 में तनु श्री दत्ता और नाना पाटेकर के केस के साथ मीटू ने भारत में अपने कदम रखे. इस पर कई लोगों ने उनका साथ दिया. जिसके बाद भारत में भी मीटू के तहत आरोपों- प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू हो गया. आलम यह है कि आये दिन हर क्षेत्र से आने वाली महिलाएं इस अभियान से जुड़ रही हैं और एक- दूसरे के साथ खड़ी होती नजर आ रही हैं.

इन पर गिरी गाज –
बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों समेत मीडिया जगत के बड़े नाम अब तक मीटू के कहर का शिकार हो चुके हैं. नाना पाटेकर के अलावा फिल्म डॉयरेक्टर विकास बहल, सुभाष घई, सुभाष कपूर, साजिद खान, अभिनेता रजत कपूर, पीयूष मिश्रा, लेखक चेतन भगत, सिंगर कैलाश खेर, अनु मलिक, मॉडल जुल्फी सैयद, भाजपा मंत्री एम.जे. अकबर, बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी, पदम भूषण जतिन दास समेत कई लोगों पर इस अभियान के तहत गंभीर आरोप लगाए गये हैं.

मीटू में अब तक –
10- 15 साल बाद अचानक सामने आ रहे इन मामलों ने पूरे देश को दुविधा में डाल दिया है, कि आखिर किस पर यकीन किया जाये और किसे गलत ठहराया जाए? मीटू के दौरान लगे आरोपों पर जहां कुछ लोगों ने माफी मांग ली है तो वहीं कुछ लोगों ने आरोप लगाने वाली महिलाओं को गलत बताते हुए उन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया है. आइए जानते हैं कि मीटू ने अब- तक क्या- क्या हुआ?
इस मुहिम में फंसे अभिनेता नाना पाटेकर, सुभाष घई, साजिद खान, जतिन दास आदि ने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा करार दिया है. तो वहीं कई महिलाओं के आरोप लगाने के बाद बुरी तरह घिरे आलोकनाथ ने लेखिका विनता नंदा पर तो विकास बहल ने अपने पूर्व साझेदारों अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवाने पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है, हालांकि इसके जबाव में विनता नंदा ने भी आलोकनाथ के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करा दिया है. इसके अलावा पीयूष मिश्रा, रजत कपूर, चेतन भगत और कैलाश खेर ने पूरे मामले में अपना- अपना पक्ष रखते हुए माफी मांग ली है. मीटू में सबसे ज्यादा बुरी तरह घिरने वाले राज्य विदेश मंत्री एम.जे. अकबर, जिन पर बीस से ज्यादा महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, उन्होंने भी पत्रकार प्रिया रमानी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
IMAGE OF ME TOO के लिए इमेज परिणाम

क्या मोड़ लेगा मीटू –
कई लोगों के समर्थन के बावजूद मीटू के अंतर्गत लगे सभी आरोपों पर आंख बंद करके भरोसा नहीं किया जा सकता. हालांकि सरकार इस को लेकर काफी गंभीर है. हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इन सभी मामलों की जांच करने के लिए पूर्व जजों की एक कमेटी का गठन किया है. इसके अलावा फिल्म कलाकारों की संस्था सिंटा ने भी इन आरोपों की तह तक जाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है, जिसका अध्यक्ष अभिनेत्री रवीना टंडन को बनाया गया है. इन मामलों पर कोई भी सुनवाई होने से पहले ही इसका असर दिखने लगा है और सबसे पहले राज्यसभा सांसद एम.जे. अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि उन्होंने कहा कि वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे.

आरोप साबित करना होगा मुश्किल - जरूरी नहीं है कि मीटू में घिरे सभी लोग दोषी हों, लेकिन यदि एक ही व्यक्ति पर कई महिलाए आरोप लगा रहीं हैं तो उसे नजरअंदाज भी नहीं किया जाना चाहिए. इस अभियान से जुड़ कर अपनी आवाज उठाने वाली महिलाओं के सामने अब सबसे बड़ी मुसीबत जो आयेगी वह है कि वह 10- 15 साल बाद इन आरोपों को साबित कैसे करेंगी. लेकिन यह भी सत्य है कि अगर इस मुहिम में लगाये गए इक्के- दुक्के मामले भी झूठे निकले तो यह अभियान सफल होने से पहले ही बेअसर हो जायेगा.

    यह भी संभव है कि इस अभियान के बाद लोग महिलाओं पर विश्वास करना कम कर दें, उनसे बात करने या उन्हें अवसर देने से बचें. पर अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो वास्तव में यह डिजिटल मुहिम नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा सफलता होगी और शायद भविष्य में प्रोफेशनल लाइफ में औरतों का फायदा उठाने वाले लोग अब उनके साथ कुछ भी गलत करने से डरेंगे.

इतने साल बाद क्यों – 
मीटू मुहिम को लेकर सबसे बड़ा सवाल जो उठाया जा रहा है, वो है इतने साल बाद क्यों?  आखिर इतने साल बाद ये महिलाएं आरोप क्यों लगा रहीं है, उस वक्त कहां थी, उस वक्त उन्होंने अपनी आवाज क्यों नहीं उठायी.
तो हो सकता है कि उस वक्त उम्र और अनुभव की कमी के चलते वह इतना साहस न जुटा पायीं हों. आज जब वह एक सशक्त महिला के रूप में सामने आ रहीं हैं, तब भी उन पर निजी, सामाजिक, कानूनी व राजनैतिक दबाव बनाया जा रहा है, तो इस बात की क्या गारंटी है कि अगर उस वक्त अगर उन्होंने अपनी आवाज उठाने की कोशिश की होगी तो उसे दबाया नहीं गया होगा. इसके अलावा जो लोग आज उन महिलाओं की बात पर विश्वास नहीं कर रहे, वह आज से 10- 15 साल बाद उन पर यकीन करते?  यह सवाल खुद से पूछ कर देखिये तो आपको खुद अपने सारे सवालों का जबाव मिल जायेगा.


फिलहाल तो मीटू रूपी यह आंधी थमने का नाम नहीं ले रही और आये दिन इसमें कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि इसमें से कितने आरोप सही निकलते हैं, क्या सच में मीटू देश में डिजिटल साहस की नई कहानी लिख पायेगा या बाकि अभियानों की तरह ये भी महज सुर्खियां बटोरने का एक जरिया बन कर रह जायेगा.

The pictures used in this blog are not owned by me.


Comments

Must Read

बच्चों को सताये बोर्ड एक्जाम्स का भूत

भूतों से तो अमूमन सभी बच्चों को डर लगता है, लेकिन उनके लिए भूत से भी ज्यादा डरावना अगर कुछ होता है तो वह है बोर्ड एक्जाम्स का प्रेशर. हर साल 10वीं और 12वीं के कई बच्चे इसके चलते डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इसकी मुख्य वजह है अभिभावकों और सम्बंधियों द्वारा बच्चों से सुबह- शाम, उठते- बैठते सिर्फ बोर्ड एक्जाम और पढ़ाई की ही बातें करना. फरवरी 2019 में होने वाले बोर्ड एक्जाम्स के लिए जो भी बच्चे इसके लिए तैयारी कर रहे हैं, उन्हें आज हम बतायेंगे इस दौरान प्रेशर से बचने के कुछ तरीके, जिससे वे तनावमुक्त होकर अपने अच्छे से तैयारी कर पायेंगे. 1.      निश्चित करें पढ़ाई का समय – बोर्ड एक्जाम्स में ज्यादा पढ़ाई करना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए आपको हर वक्त किताब लेकर बैठना जरूरी नहीं है. हर दिन आप पढ़ने का एक समय निश्चित कर लीजिए, जिसमें की आप पूरी लगन और ईमानदारी के साथ पढ़ाई कर सकें. ऐसा करने से आप पढ़ाई के अलावा अपने बाकी कामों को भी समय दे पायेंगे और कोई हर वक्त आपको पढ़ने के लिए नहीं टोकेगा. 2.        आखिरी दिनों पर न रहें निर्भर – बोर...

सीता – रावण संवाद

रावण - मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे, सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? सीता जी – तेरे दुस्साहस का तुझको, अंजाम यहीं बतलायेंगे, जब रावण तेरी लंका में, मेरे रघुनंदन आयेंगे. रावण – जो वन में नहीं बचा पाये, वो कैसे यहां बचायेंगे, तू मेरी जीवनसाथी बन, वो राम यहां न आयेंगे. जलधाम जो इतना गहरा है, न पार इसे कर पायेंगे, वो खुद तो इसमें डूबेंगे, और सबको साथ डुबायेंगे. इस लंकाधिपति की लंका तक, तेरे पति पहुंच न पायेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, ये सिंधु देख घबरायेंगे. सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे... सीता जी – कपटी तेरे कर्मों का फल, देने लंका वो आयेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, फिर से सीता ले जायेंगे. तू उनके कद को क्या जानें, पग ऐसा एक बढ़ायेंगे, ये धरती, सागर और गगन, उस पग में ही नप जायेंगे. तप में उनके इतना बल है, वो जिस पत्थर को उठायेंगे, वो ‘ राम ’ के नाम से तैरेंगे, सागर में सेतु बनायेंगे. सुन रावण तेरी लंका में, ऐसे रघुनंदन आयेंगे. त...

सबके दामन साफ, 60 मौतें माफ

अमृतसर के धोबीघाट मैदान में दशहरा का मेला देखने आये लोगों ने उस दिन मौत का जो मंजर देखा, उसे शायद पूरा अमृतसर कई सालों तक नहीं भूला पाएगा. 19 अक्टूबर की उस काली शाम को, जब दशहरा के दिन रावण दहन के दौरान लोग जोड़ा फाटक के पास पटरियों पर जाकर खड़े हो गए थे. सर पर खड़ी मौत से अंजान लोगों को शायद यह पता भी नहीं चला होगा कि कब उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गयी और दस सेकेण्ड के अंदर उन्होंने अपनी जान गंवा दी.           लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इतने बड़े कार्यक्रम में झकझोंर देने वाला दर्दनाक हादसा हो गया, 60 लोगों की मौत हो गयी, लेकिन इसका जिम्मेदार कोई भी नहीं है! स्थानीय प्रशासन, रेलवे से लेकर आयोजक और नेता तक सब एक- दूसरे पर आरोप मढते नजर आ रहे हैं. लोग गुस्से में हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन जब कोई गुनहगार ही नहीं है तो वो भी किससे और किसके लिए सजा की मांग करें. आइए आपको बताते हैं कि कैसे पूरे मामले से सब अपना पल्ला झाड़ते हुए खुद को पाक- साफ बता रहे हैं... मैडम नवजोत के बदलते बयान – इस पूरे हादसे में अगर किसी पर सबसे ज्याद...

तारीख बता दो नेता जी

नारी सशक्तिकरण पर चर्चा के लिए, एक मंच सजाया गया, जहां पर वहां के माननीय नेता जी, को भी बुलाया गया, बातों और वादों का पिटारा लेकर, नेता जी मंच पर आते हैं, फिर नारी के सम्मान में, दो - चार नई पंक्तियाँ सुनाते हैं, नारी पूजनीय व वन्दनीय है, यह पाठ सभी को पढ़ाते  हैं, फिर नारी को मान और सम्मान दिलाने के, नए- नए वादे करते जाते हैं | नेता की बातों से थक कर, एक महिला श्रोता बोल पड़ी, भावुक होकर सबके समक्ष, जज्बात यूँ अपने खोल पड़ी, नेता जी मैं तो एक राजनीतिक मुद्दा हूँ, जिसे भुना आप चुनाव तो जीत जाओगे, पर कब तक झूठे वादों से, ऐसे हमको बहलाओगे, इन भाषणों और कविताओं से ही, तुम कब तक मान बढ़ाओगे, तारीख बता दो नेता जी, किस दिन सम्मान दिलाओगे ? फिल्मों की प्रेम कहानी तो, सबको पसंद आती है, अपनी बेटी फिर क्यों तुमको, चरित्रहीन नजर आती है, फिल्मों की अदाकाराओं की, आजादी भी बड़ा लुभाती है, अपनी बहुएं फिर क्यों तुमको, घूँघट में ही भाती हैं, आजादी का असली मतलब, कैसे इनको समझाओगे, तारीख बता दो नेता जी, किस दिन सम्मान दिलाओगे ? नारी तुम केवल श्रृद्धा हो, ये ग...

मैं शहीद हो गया हूं

मैं, मैं भारत माँ का एक सिपाही हूँ, इस मिट्टी में पला- बढ़ा, इस मातृभूमि का बेटा, जो आज इसी मिट्टी में खो गया हूँ, क्योंकि पिछले महीने हुई मुठभेड़ में, मैं शहीद हो गया हूँ ... सीमा पर उस दिन जब मैं दुश्मनों से लड़ रहा था, निडर क़दमों से निरंतर उनकी ओर बढ़ रहा था. उस वक्त न मेरे दिल में कोई डर था, न माथे पर कोई शिकन था, बस मन में एक ख़याल था, कि मेरी शहादत की खबर अगर कोई, मेरे घर पहुंचाएगा, तो मेरा दस साल का बेटा, ये सदमा कैसे सह पायेगा... पर मेरा बेटा उस दिन कुछ ऐसा कह गया, जिसे सुनकर हर हिन्दुस्तानी दिल भर गया. बेटे ने कहा कि मुझे भी पापा के जैसे सेना में जाना है, और पापा के एक सर के बदले, दुश्मन के दस सर काट के लाना है... जब- जब हमारे परिवारों से ऐसी, निर्भीक आवाजें आतीं हैं, तब- तब सीमा पार खड़े, दुश्मन की धरती हिल जाती है... उस आखिरी मुठभेड़ से पहले भी, मैं कई जंग लड़ा था, हाँ, रेगिस्तान की तपती रेत में भी, मैं डटकर खड़ा था, क्योंकि वहां की मिट्टी की सुगंध,   उस तपन को ठंडा कर देती थी, और रेगिस्तान की धरती भी म...

प्रकृति

तपता है सूरज दिनभर , दुनिया को रोशन करने को। चलती रहती है वायु सदा , जन -जन को शीतल करने को । बहता है बादल भी खुद, धरती को जीवन देने को। स्वार्थी मात्र एक मानव है , जो खड़ा है सब कुछ लेने को । तुमको सब कुछ देती प्रकृति, है शेष नहीं कुछ देने को। इस धरती का सम्मान करो, है जगह स्वर्ग यह रहने को। अब मत इसको बर्बाद करो , इस स्वर्ग को स्वर्ग ही रहने दो।                                  -मृणालिनी शर्मा

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस हद तक?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है अर्थात एक ऐसा देश जहां पर लोगों को अपने अनुसार जीवन जीने और अपने विचार रखने की पूरी स्वतंत्रता है और यह लोकतंत्र मात्र संविधान की किताब तक ही सीमित नहीं है बल्कि प्रत्येक भारतीय के वास्तविक जीवन में भी अमल करता है । अतः इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर कहा जाए कि दुनिया में अगर कोई देश सच्चे मायनों में लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है तो वह भारत ही है।                       भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, अर्थात भारत का प्रत्येक नागरिक अपने विचारों को बोलकर, लिखकर  या किसी अन्य माध्यम से प्रकट करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र है । किन्तु इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है  कि आप अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश विरोधी बयान बाजी या नारेबाजी  करो । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नही है कि आप जिस देश की मिट्टी में पले -बढ़े हो,  उसी भारत माता को बाँटने की बात करो ।                   ...

देशभक्ति आखिर है क्या ?

              पिछले कुछ दिनों से देश में एक नया दौर शुरू हो गया है जहां कुछ लोगों ने देश के नागरिकों को विचारधारा के आधार पर देशभक्त और देशद्रोही के सर्टिफिकेट देने का बीड़ा उठा रखा है । आज देश में यह बहस का बड़ा मुद्दा बना हुआ है कि कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही  !                         किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले यह जानना आवश्यक है कि देशभक्ति आखिर है क्या ? " अपने देश के प्रति श्रद्धा, प्यार और समर्पण की भावना को देशभक्ति कहते हैं ।" और ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की देश विरोधी गतिविधि में संलिप्त होता है, वह  देशद्रोही है और ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है ।                           किन्तु यह बिल्कुल भी उचित नहीं है कि किसी विशेष विचारधारा के प्रति सहमति या असहमति प्रकट करने पर कोई भी व्यक्ति भारत के आम नागरिकों की देशभक्ति पर प्रश्नचिह्न खड़ा करे। हाल ही ...

Angels in Our Life

I always had few questions in my mind and I used to ask myself ,"who are angels, do they really exist in this world ,are they visible? " These questions often came to my mind and disturbed me a lot and I'm sure that we all want to know the answers of these questions . We all want to know about angels.                Whenever I thought about angels,  these questions made me restless . But one day I met someone and got the answers of all my questions. When I met her, I realized that yes , Angels exist in this world and they are visible to everyone.And you'll be surprise to know that they are all around us. We all have angels in our life .We all are surrounded by them. We just have to find them out.                "Angels are the special agents of God." God has sent them to make this world more beautiful.  It is very easy to find your Angel .Your Angel can be among your family members ,am...