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आतंकवादः समस्या एवं समाधान

हिंसा ,नफरत , द्वेष तथा दहशत जब अपने चरम पर पहुंच जाता है ,तब यह आतंकवाद के रूप में उभरकर सामने आता है । यदि आतंकवाद को परिभाषित किया जाए , तो वास्तव में ' अपने आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए की जाने वाली हिंसात्मक गतिविधि को आतंकवाद कहते हैं ।'

                    आज भारत समेत विश्व के कई बड़े- बड़े देश भी आतंकवाद जैसी समस्या से जूझ रहे हैं । पिछले कुछ दशकों से आतंकवाद विश्व के लिए एक बडी  चुनौती बनकर उभरा है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद को किसी विशेष धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए । यह किसी विशेष धर्म के लोगों द्वारा नहीं बल्कि मानसिक रूप से बीमार लोगों द्वारा फैलाया जाता है ।लोगों के मन में अपने प्रति भय स्थापित करने ,दूसरों की जगह पर अपना आधिपत्य जमाने तथा सत्ता हथियाने के लालच में कुछ असामाजिक तत्व क्रूरता   की किसी भी हद तक जा सकते हैं ।अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए इन आतंकवादियों ने अब तक न जाने कितने ही लोगों के प्राणों की बलि चढा दी ।

                आईएसआईएस,अलकायदा ,बोकोहराम ,लश्कर- ए-तैयबा तथा तालिबान जैसे कुछ प्रमुख आतंकवादी संगठन हैं, जिन्होंने दुनियाभर में दहशत फैला रखी है।आईएसआईएस के अमानवीय कुकृत्यों ने तो बर्बरता की सारी सीमाएँ लांघ दी हैं। वास्तव में इन आतंकवादी संगठनों की क्रूरता की जितनी निंदा की जाए कम होगी । अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर  इस समस्या का समाधान क्या है ?
               आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या का समाधान 10, 20 ,50 आतंकवादियों के खात्में मात्र से नहीं होगा । यदि वास्तव में आतंकवाद का अन्त करना है ,तो सीधे इसकी जड़ पर वार करना होगा । यदि किसी युवा के आतंकवादी बनने के कारणों की ओर ध्यान दें तो 'बेरोजगारी ' उसमें एक मुख्य कारण है। यदि अपने मार्ग से पथभ्रष्ट हुए युवाओं को स्थानीय सरकार द्वारा समय रहते रोजगार उपलब्ध करा दिया जाए , तो वे शायद आतंकवाद के इस हिंसक जाल में न फंसें । 

             यदि इन युवाओं में बचपन से ही ' वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना से ओत- प्रोत कर दिया जाए ,अर्थात् उन्हें यह सिखाया जाए  कि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार की भांति है। अतः किसी भी देश, धर्म तथा संस्कृति का पारस्परिक विरोध न कर एक शान्त और सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करें। इसके अतिरिक्त जन -जन में आध्यात्मिक प्रवृत्ति का उत्थान करके भी आतंकवाद का समाधान संभव है । आध्यात्मिक प्रवृत्ति से यहाँ आशय किसी विशेष धर्म से नहीं है, बल्कि हिंदू , मुस्लिम,  सिख , ईसाई किसी भी धर्म का यदि आधारभूत ज्ञान भी इन युवाओं को दिया जाए , तो कल को शायद कोई  युवा आतंकवादी न बनें।

                        भगवान ने वास्तव में एक बहुत ही खूबसूरत दुनिया का निर्माण किया है , अतः मनुष्य का धर्म है कि एक ऐसे शान्तिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करें,  जिससे यह दुनिया और भी खूबसूरत हो जाए। आतंकवाद के निर्यातक राष्ट्रों को यह चेतावनी है कि अपने निजी लाभ के लिए मासूमों की जिन्दगियों से खेलना बंद करें। क्यों कि हिंसा के इस खेल के दुष्परिणाम उन्हें भी भुगतने पड़ेगें।  आतंकवादी संगठनों के आकाओं को यह समझना होगा कि दुनिया में नफरत और हिंसा फैलाने तथा बेगुनाह लोगों की जान लेने से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा। अतः युवाओं को बंदूक तथा बम चलाने की शिक्षा न देकर,  शांति, सौहार्द तथा अंहिसा का पाठ पढाया जाए ।  विश्व शांति के   सबको एकजुट होकर  आतंकवाद का अन्त करना होगा ।
                                           -मृणालिनी शर्मा 
                          

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