Skip to main content

मत राजनीति बदनाम करो


ओ सत्ताधारी जनसेवक, जनहित में तो कुछ काम करो।
अपनी ओछी करतूतों से, मत राजनीति बदनाम करो।।

खाकी को तुमने हाथों की, कठपुतली सा बना दिया।
न्याय- व्यवस्था को अपनी, उँगली पर तुमने घुमा दिया।
अंधे कानून के पर्दे में, क्या- क्या न तुमने कांड किया।
है शेष नहीं कोई ऐसा, जो तुमने न अपराध किया।
तुम लोकतंत्र के सर पर चढ़, मत इससे खिलवाड़ करो।
अपनी ओछी करतूतों से, मत राजनीति बदनाम करो।।

गद्दी के लालच में तुमने, मानवता को शर्मसार किया।
नोटों की चकाचौंध के आगे, अपना बेच ईमान दिया।
हत्याएं, दंगे, लूटमार, घोटाले, भ्रष्टाचार किया।
मर्यादा लांघ दी सारी, बेटी संग दुराचार किया।
भारत की पावन माटी पर, मत नित दिन नये बवाल करो।
अपनी ओछी करतूतों से, मत राजनीति बदनाम करो।।

जिस भोली जनता ने तुम पर, कई बार विश्वास किया।
कूटनीति के खंजर से, तुमने उन पर आघात किया।
मंदिर- मस्जिद का भी साहेब, क्या खूब है इस्तेमाल किया।
जाति- धर्म में लड़वाकर, सत्ता पर तुमने राज किया।
खून रंगे सिंहासन पर, तुम मत इतना अभिमान करो।
अपनी ओछी करतूतों से, मत राजनीति बदनाम करो।।
                        
                       -मृणालिनी शर्मा 

Comments