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Showing posts from July 3, 2017

प्रकृति

तपता है सूरज दिनभर , दुनिया को रोशन करने को। चलती रहती है वायु सदा , जन -जन को शीतल करने को । बहता है बादल भी खुद, धरती को जीवन देने को। स्वार्थी मात्र एक मानव है , जो खड़ा है सब कुछ लेने को । तुमको सब कुछ देती प्रकृति, है शेष नहीं कुछ देने को। इस धरती का सम्मान करो, है जगह स्वर्ग यह रहने को। अब मत इसको बर्बाद करो , इस स्वर्ग को स्वर्ग ही रहने दो।                                  -मृणालिनी शर्मा