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Showing posts from October 17, 2017

गुम होती दीपक की रोशनी

                     दीपावली रोशनी का पर्व है तथा इसका शाब्दिक अर्थ ही है , ‘दीपों की अवलि’ या ‘दीपों की पंक्ति’. हिन्दू धर्म में दिवाली का एक अलग ही महत्व है | आज से लाखों वर्ष पहले जब भगवान श्री राम, रावण का वध कर के अयोध्या वापस लौटे थे | तब अयोध्यावासियों ने घी के दीप जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था | किन्तु बदलते समय के साथ इन दीपों का रंग ,रूप ,आकार से लेकर , त्योहार मनाने के तथा बधाई देने के तरीके तक बहुत कुछ बदल चुका है |                                                दिवाली में जलने वाले दीपक प्रकाश, आशाओं तथा खुशियों के प्रतीक होते हैं | क्योंकि जब ये दीप जलतें है तो आपका घर प्रकाश से और इन दीयों को बनाने वाले कुम्हारों का घर खुशियों और आशाओं से रोशन होता है | इन दीपों में जो घी होता है उसके पीछे किसी के सपने , दीपक की बाती के पीछे किसी की आशाएं तथा इसकी लौ के पीछे किसी के जीवन का प्रकाश छिपा रहता है | किन्तु आज के समय में झालरों और इलेक्ट्रॉनिक दीयों की चकाचौंध में घी के इन दीपों की रोशनी फ़ीकी पड़ती नज़र आ रही है | इन लाइटों से अब दिवाली में शहर तो जगमग हो जा