Skip to main content

Posts

Showing posts from January 3, 2019

सीता – रावण संवाद

रावण - मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे, सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? सीता जी – तेरे दुस्साहस का तुझको, अंजाम यहीं बतलायेंगे, जब रावण तेरी लंका में, मेरे रघुनंदन आयेंगे. रावण – जो वन में नहीं बचा पाये, वो कैसे यहां बचायेंगे, तू मेरी जीवनसाथी बन, वो राम यहां न आयेंगे. जलधाम जो इतना गहरा है, न पार इसे कर पायेंगे, वो खुद तो इसमें डूबेंगे, और सबको साथ डुबायेंगे. इस लंकाधिपति की लंका तक, तेरे पति पहुंच न पायेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, ये सिंधु देख घबरायेंगे. सुन सीता सागर पार यहां, कैसे रघुनंदन आयेंगे ? मैं जिनकी पत्नी हर लाया, वो क्या मेरा कर पायेंगे... सीता जी – कपटी तेरे कर्मों का फल, देने लंका वो आयेंगे, वो धनुष- भंग करने वाले, फिर से सीता ले जायेंगे. तू उनके कद को क्या जानें, पग ऐसा एक बढ़ायेंगे, ये धरती, सागर और गगन, उस पग में ही नप जायेंगे. तप में उनके इतना बल है, वो जिस पत्थर को उठायेंगे, वो ‘ राम ’ के नाम से तैरेंगे, सागर में सेतु बनायेंगे. सुन रावण तेरी लंका में, ऐसे रघुनंदन आयेंगे. त